सर्दियों में नीचे कोई रोता है सीलन की तरह उसकी आवाज शहरों का हिस्सा है गर्म बिस्तर पर जब सारी अच्छी किताबें एक-एक कर दिमाग में आती हैं बाहर निकलने का मन नहीं करता उसकी आवाज आती रहती है पीने के पानी को और ठंडा करती हुई और इस सारे संसार को।
हिंदी समय में संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ